रविवार की अलसाई सी सुबह..
अदरक वाली कड़क चाय..
बीवी के हाथ की
धीमी सी आवाज में बजते गाने..
रसोई मेंं रखे पुराने रेडियो से
आस पास बिखरी किताबें...
शेरोशायरी की, साहिर की, फ़ैज की और क़तील की
मेरे लिए यही आर्ट ऑफ़ लिविंग है.
अदरक वाली कड़क चाय..
बीवी के हाथ की
धीमी सी आवाज में बजते गाने..
रसोई मेंं रखे पुराने रेडियो से
आस पास बिखरी किताबें...
शेरोशायरी की, साहिर की, फ़ैज की और क़तील की
मेरे लिए यही आर्ट ऑफ़ लिविंग है.
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