Swachchhta
Abhiyan is good. But, has any volunteer of this Abhiyan (mission) including Railway
official, MP or Minister has ever, ever visited the toilets at Railway station
of big cities (like New Delhi), what to talk of railway stations of small
cities. If railway cannot clean these dirtiest places of common visit of a
common man, can't these toilets be outsourced at the rate of Re 1 per person or
some other reasonable rates?
स्वच्छता अभियान अच्छा है. लेकिन क्या स्वच्छता
अभियान के किसी स्वंयसेवक (किसी सांसद या मंत्री सहित) या रेलवे के अधिकारी ने
कभी, कभी भी किसी बड़े रेलवे स्टेशन (जैसे नई दिल्ली) के
टायलेट्स का भ्रमण किया है, छोटे शहरों के
रेलवे स्टेशन्स की तो बात ही क्या करें. इन कॉमन मैन की
कॉमन विजि़ट्स की सबसे गंदी जगहों को यदि रेलवे स्वंय स्वच्छ नहीं रख सकता, तो इस सुविधा को एक रूपये प्रति व्यक्ति या और किसी युक्तियुक्त दर पर
आउटसोर्स क्यों नहीं कर देता?
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